top of page

पुरुष अधिकारों की मांग को लेकर राज्य स्तरीय सम्मेलन


4th State level conference on demand for Mens rights

दिनांक:13.04.2019

प्रेस विज्ञप्ति

पुरुष अधिकारों की मांग को लेकर राज्य स्तरीय सम्मेलन

दशरथ के मरने पर कैकयी और मन्थरा पर कार्यवाही की आवश्यकता तब भी थी और आज भी

  • लिंग – निर्पेक्ष कानूनों की मांग उठाने के लिये चतुर्थ राज्य स्तरीय पुरुष अधिकार सम्मेलन आयोजित

  • भारत की व्यवस्था एवं न्यापालिका पुरुषों के विरुद्ध खतरनाक रूप से पूर्वाग्रहित

  • संस्था द्वारा संचालित पुरुष सहायता हेल्पलाइन 8882 498 498 पर प्रतिवर्ष 50 हजार फ़ोन काल

  • सरकारी आंकड़ों में पुरुषों की आत्महत्या दर महिलाओं से दुगनी होने पर भी कोई कार्य योजना नहीं

  • दहेज, घरेलू हिन्सा, छेड़छाड़, बलात्कार, मीटू आदि के झूठे आरोपों पर पुरुषों के विरुद्ध पूर्वाग्रह के आधार पर होती है उत्पीड़नात्मक कार्यवाही.

  • महिलाओं के फ़र्जी मुकदमें बने अवैध धन उगाही का माध्यम

  • आरोप गलत पाये जाने पर महिलाओं को सजा नहीं मिलने के कारण बढ़ रहा कानूनों का दुरुपयोग.

  • दशरथ के मरने पर कैकयी और मन्थरा पर कार्यवाही की आवश्यकता तब भी थी और आज भी

  • बेलन से पति को पीटने पर पत्नी पर सुसंगत धाराओं में मुकदमा क्यों नहीं दर्ज होता ?

  • महिलाओं से ज्यादा टैक्स देने पर भी सरकारों के पास पुरुषों कि शिक्षा और स्वास्थ्य के आंकड़े तक नहीं ।

  • पुरुषों को अपने हक की लड़ाई के लिये लम्बे समय तक लड़ने के लिये तैयार रहना होग

 

समाज एवं व्यवस्था में पुरुषों के अधिकारों के क्षेत्र में संधर्षरत अन्तर्राष्ट्रीय संस्था सेव इण्डियन फ़ैमिली (SIF) की बरेली इकाइ के द्वारा चतुर्थ राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन स्थानीय सिविल लाइन्स स्थित होटल स्थान सीता किरण में किया गया । इस अवसर पर संस्था की बरेली इकाई के संस्थापक गुरुसेवक सिंह ने सहभागियों का स्वागत किया एवं आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये बताया कि सरकारों को लिंग – भेद आधारित कानूनों को समाप्त कर लिंग – निर्पेक्ष कानूनों को स्थापित करना चाहिये जिससे की पुरुषों की भी सुनवाई हो सके और उन्हे भी न्याय मिल सके ।

प्रदेश भर से आये हुये पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिये प्रश्नों का खुले सत्र में जवाब देते हुये कानपुर से आये अनुपम दुबे ने बताया कि देश की व्यवस्था पुरुषों के खिलाफ़ खतरनाक रूप से पूर्वाग्रहित मानसिकता से काम करती है । जिसके की कारण पुरुषों कि दुश्वारियों की कोई भी सुनवायी सरकार से लेकर न्यायपालिका तक नहीं होती । खुद सरकारी आंकड़ों के अनुसार पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं से दुगनी है परन्तु इसे रोकने की कोई कार्य योजना किसी के पास नहीं है। स्थिति की भयावहता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संस्था द्वारा संचालित पुरुष सहायता हेल्पलाइन 8882 498 498 पर प्रति वर्ष लगभग पचास हजार फ़ोन काल्स मिल रही हैं ।

ड़ा इन्दु सुभाष ने कहा कि महिलाओं के द्वारा दहेज, घरेलू हिन्सा, छेड़छाड़, बलात्कार, मीटू आदि के झूठे आरोप लगाकर पुरुषों को फ़र्जी मुकदमेबाजी में फ़ंसाया जा रहा है । महिलाओं के द्वारा आरोप लगाने पर व्यवस्था बिना सच – झूठ के परीक्षण के ही, मात्र पूवाग्रह के आधार पर पुरुषों को दोषी मान कर कार्यवाही कर देती है । इस कारण बहुतायत से पुरुषों का उत्पीड़न हो रहा है ।

पुरुष आयोग की स्थापना की जरुरत पर बल देते हुये लखनऊ से आये हुये यक्ष ने बताया की महिलाओं के पक्ष में एकतरफ़ा कानूनों के कारण इनका धड़ल्ले से दुरुपयोग किया जा रहा है और ऐसे एकतरफ़ा कानून अवैध धन उगाही का हथियार बनते जा रहे हैं । सरकार और प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक अपनी आखें मूंद कर बैठे हैं । इस प्रताड़ना से तंग होकर और कहीं सुनवाई न हो पाने के कारण भारत में प्रति वर्ष 64,000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं । सरकारी आकड़ों में ही पुरुषों की आत्महत्या दर महिलाओं से दुगुनी है । बहुत से मामलों में पुरुषों की मौत पर पुलिस मुकदमा तक नहीं दर्ज करती है और उनको सामान्य दुर्घटना मानकर मामला समाप्त कर देती है । एक तरफ़ तो पुरुषों से परिवार पालने की अपेक्षा की जाती है और दूसरी तरफ़ उनको फ़र्जी मुकदमों में फ़ंसा कर सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है । जबकी सरकारों को ज्यादा टैक्स की अदायगी पुरुष ही करते हैं फ़िर भी सरकारों के पास पुरुषों की शिक्षा और स्वास्थ्य के आंकड़े तक नहीं ।

आगरा से आये ब्रजेश ने बताया कि भारत में घरेलू हिन्सा कानून की अवधारणा मूल रुप से ही गलत है । घर की चाहरदीवारी के भीतर महिला और पुरुष दोनों ही एक दूसरे को समान रूप से प्रताड़ित कर सकते हैं पर भारत का घरेलू हिन्सा कानून सिर्फ़ महिलाओं को ही पीड़ित मानता है । भारत के घरों में रोज कोई दशरथ मर रहा है पर किसी कैकयी और मन्थरा पर कोई कार्यवाही न रामायण काल में हुई और न आज हो रही है । बेलन से पति को पीटने पर पत्नी पर सुसंगत धाराओं में मुकदमा क्यों नहीं दर्ज होता ? घरेलू हिन्सा कानून को लिंग निर्पेक्ष बनाने की मांग सरकारों से लगातार की जाती रही है पर कोई सुनवाई नहीं हुई । अब इस बाबत संस्था द्वारा एक जन हित याचिका की तैयारी की जा रही है ।

पुरुषों से सम्बन्धित विषयों पर सरकारी स्तर पर कोई आर्थिक सहायता नहीं है फ़िर भी संगठन अपने आंतरिक श्रोतों से ही विगत पच्चीस वर्षों से चल रहा है । भविष्य में पुरुष अधिकारों के लिये लम्बी लड़ाई के मद्देनज़र सचिन अग्रवाल ने संस्था को आर्थिक संसाघनों को पुष्ट करने की आवश्यकता पर बल दिया । स्थानीय गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुये गुरुसेवक ने बताया की पीड़ित पुरुषों की निशुल्क सहायता के लिये प्रत्येक रविवार को प्रभा टाकिज के पास कम्पनी बाग में सांयकाल साप्ताहिक मीटिंग आयोजित की जाती है.

इस अवसर पर कानपुर, चंडीगढ़, कोलकाता, लखनऊ, आगरा, कोटा, पीलीभीत, बरेली, मुरादाबाद, कुरुकक्षेत्र, जौनपुर, बनारस आदि से आये हुये लगभग साठ प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में शिरकत कर पुरुष अधिकार आन्दोलन को धार देने की रणनीति पर चर्चा की.

भवदीय

गुरुसेवक सिंह

संस्थापक

सेव इण्डियन फ़ैमिलि (SIF), बरेली,

बरेली – उ. प्र.

फ़ोन: 98891 88810 (अनुपम दुबे)

95579 11984 (गुरुसेवक सिंह)

0 comments

Talk to our volunteer on our #Helpline

8882-498-498

Single Helpline Number For Men In Distress In India

Join our mailing list!  Stay up-to-date on upcoming projects, offers & events.

Thanks for subscribing! Welcome to Daaman!

  • Follow Daaman on Facebook
  • Follow Daaman on Twitter

©2018-2020 Daaman Welfare Society & Trust.

All rights reserved.

Beware, anyone can be a victim of gender bias in society and laws! 

Don't wait: Schedule a conversation with a trusted, experienced Men's Rights Activist to find out how only awareness is the key to fight and remove prevailing gender bias against men in society.
bottom of page