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वह 'होम' कर रहा था, खाकी की हवा ने जला दिए उसके हाथ

Writer's picture: Anupam DubeyAnupam Dubey

वह 'होम' कर रहा था, खाकी की हवा ने जला दिए उसके हाथ

एक इंसान की मदद करना दूसरे का कर्तव्य है और मानव धर्म भी। स्कूल, समाज और कानून सभी यही सीख देते हैं लेकिन जब मदद करने का सिला जेल के रूप में मिले तो सवाल लाजिम है। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ के राजीव चौहान को किशोरी की मदद का सिला तीन साल तक जेल में रहने के रूप में मिला। खाकी ने होम करने में उनके हाथ जला दिए। हालांकि इस पूरे मामले में अपर सत्र न्यायाधीश ममता गुप्ता ने राजीव को बाइज्जत बरी करने के आदेश दिए। गवाहों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने उन्हे निर्दोष करार दिया। विवेचना पर सवाल खड़े करते हुए विवेचक के खिलाफ डीजीपी को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है।

यह था मामला

बर्रा-6 निवासिनी 15 वर्षीय शिवानी गुप्ता 5 जुलाई 2015 को सहेली के घर जाने की बात बताकर घर से निकली। घर वापस नहीं पहुंची तो दूसरे दिन पिता नरेंद्र कुमार गुप्ता ने बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

छत्तीसगढ़ पहुंच गयी किशोरी

बर्रा-2 ईडब्ल्यूएस डबल स्टोरी निवासी राजीव चौहान को 8 जुलाई 2015 को शिवानी टे्रन के जनरल डिब्बे में मिली थी। पूछने पर बताया कि भाई आगे के कोच में बैठा है। घर का पता बर्रा का बताया। राजीव ने और पूछताछ की लेकिन उसने ज्यादा कुछ नहीं बताया। रायपुर स्टेशन पर राजीव उतरे तो वह उनके साथ चलने लगी। उनके टोकने पर कहा, भाई मिल नहीं रहा है। जिसके बाद वह उसे अपनी ससुराल ले गए और वहां रखा।

परिजनों को दी सूचना

बर्रा-2 निवासी अपने पड़ोसी संतोष शर्मा को राजीव ने किशोरी मिलने की जानकारी दी और क्षेत्रीय पार्षद सुरजीत सचान का मोबाइल नंबर लिया। 10 जुलाई की सुबह 10:30 बजे उन्होंने पार्षद को फोन कर पूरी जानकारी दी। पार्षद ने बर्रा में परिजनों को खोजा और उन्हे सूचना देकर अपने मोबाइल से राजीव की बात कराई। पिता नरेंद्र ने भी बेटी शिवानी से बात की। व्हाट्सएप पर फोटो भेजी और छत्तीसगढ़ का पूरा पता भी दिया ताकि परिजन आकर उसे ले जाएं।

किशोरी की आत्महत्या से बिगड़ा मामला

किशोरी ने राजीव के घर पर मिट्टी का तेल डालकर खुद को जला लिया था। पुलिस उसे जिला अस्पताल ले गई। रास्ते में उसने पुलिस को बताया कि पिता का एक्सीडेंट हो गया था जिसमें वह दिव्यांग हो गए। मुझे लेकर अक्सर परेशान रहते थे इसलिए घर से भागी। परिजन लेने आ रहे थे इसलिए आग लगा ली। अस्पताल में डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और पुलिस ने राजीव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

अदालत ने उठाए सवाल

  • शिवानी के मृत्यु पूर्व बयानों का न तो अवलोकन किया गया और न ही उन्हे विवेचना का हिस्सा बनाया

  • पुलिस ने दरियाबंद के उक्त घटनास्थल से प्राप्त मिट्टी तेल की बोतल, माचिस आदि को परीक्षण के लिए नहीं भेजा। इससे साबित हो सकता था कि बोतल या माचिस पर किसकी अंगुलियों के निशान हैं

  • घटनास्थल का कोई भी नक्शा अभियोजन की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया

  • मृतका अभियुक्त के घर में थी, वहां जली इसी आधार पर आरोप पत्र लगा दिया जो विवेचना में लापरवाही की पराकाष्ठा है

  • आत्महत्या के लिए किशोरी को क्यों उकसाया गया, अभियोजन के पास जवाब नहीं है

राजीव की नीयत पर संदेह नहीं

अदालत ने कहा कि समस्त साक्ष्य से स्पष्ट है कि राजीव की नीयत पर किसी तरह संदेह नहीं किया जा सकता। उन्होंने किशोरी के परिजनों की खोजबीन की और उन्हे सूचना देकर अपना पता भी बताया।

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