पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज होना जहां पहले न्याय मिलने का प्रतीक समझा जाता था, उसे चालाक लोगों ने अब दबाव बनाने, पुरानी रंजिश निकालने, छवि खराब करने और पैसा वसूलने का हथियार बना लिया है। लोग अपने स्वार्थ के लिए पहले पुलिस थानों में मुकदमा दर्ज करवाते हैं और फिर बाद में समझौता करके मामले में एफआर लगवा रहे हैं। कोटा शहर के थानों में धोखाधड़ी और दुष्कर्म में ऐसा सर्वाधिक देखने को मिल रहा है। आंकड़ों में चौकाने वाली हकीकत उजागर हुई। पिछले 7 साल में शहर के 16 थानों में इन धाराओं में 5 हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए, उनमें 70 प्रतिशत मामलों में पुलिस ने एफआर लगाई। पढ़िए, कोटा शहर के पुलिस थानों में दर्ज होने वाले मुकदमों की हकीकत बयां करती एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
नॉलेज : इस्तगासे से दर्ज हो रहे 80% मामले, झूठे मिलने पर 7 साल सजा धारा 420 और 376 का काफी मिसयूज देखने में आया है। पहले यह मुकदमे सीधे थानों में दर्ज होते आए हैं। लेकिन, अब कोर्ट इस्तगासे के आधार पर 80 फीसदी मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। अपने फायदे के लिए लोग कानून की धाराओं का गलत इस्तेमाल करते हैं, ऐसे मामलों में पुलिस को जो पीड़ित बनकर झूठा मुकदमा दर्ज करवाने आया हो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए। जो भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी करता है, उसके खिलाफ धारा 420 में मुकदमा दर्ज होता है। इस धारा में आरोपी को अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, कोर्ट जुर्माना भी लगा सकता हैं। वहीं, धारा 376 में आरोपी को 7 साल की सजा होती हैं। - महेश शर्मा, सीनियर एडवोकेट
ऐसे मामलों में बर्बाद होता है पुलिस का समय
एफआईआर या टूल : 7 साल में दर्ज हुए मुकदमों की कड़वी हकीकत
यह खुलासा एक आरटीआई से हुआ। शहर पुलिस ने इस आरटीआई पर वर्ष 2011 से जनवरी 2018 तक की यह पूरी जानकारी दी है। इस तरह झूठे मुकदमों से थानों में तैनात इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर्स का समय बर्बाद हो रहा है और थानों का दूसरा कार्य प्रभावित हो रहा हैं। एक मुकदमे की जांच में कम से कम एक माह का समय लगता है। कई मुकदमों में पेचीदगियों की वजह से इन मामलों में 6-6 माह का समय भी लग जाता है। 5,084मुकदमे दर्ज किए पुलिस ने 7 साल में इस उदाहरण से समझें बदमाशों की चालाकी... वर्ष 2017 में भीमगंजमंडी इलाके की एक युवती ने खुद के दोस्त को फंसाने और उससे पैसे ऐंठने पर उसके खिलाफ थाने पर दुष्कर्म की शिकायत दी। पुलिस ने जांच में फर्जी मानकर मामला दर्ज नहीं किया। युवती ने एसपी और आईजी से गुहार लगाई। एसपी ने तथ्य झूठे होने से ध्यान नहीं दिया तो युवती कोर्ट चली गई। कोर्ट इस्तगासे के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ और युवती ने एफआईआर की कॉपी के आधार पर युवक को धमकाना शुरू किया। मीडिया में युवक की बदनामी करने का बोला और समाज में इज्जत खत्म करने की बात कहीं। युवक ने घबराकर युवती से 3 लाख रुपयों में समझौता किया और मामले में एफआर लग गई। बिग फैक्ट एंड फिगर
3,625मुकदमों में पुलिस ने लगाई एफआर
1,039मुकदमों को पुलिस ने माना झूठा
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